प्रोटोज़ोआ एककोशिक प्राणी हैं, जो रचना और क्रिया की दृष्टि से अपने आपमें पूर्ण हैं।
इनकी कोशिका के दो भाग होते हैं : कोशिकाद्रव्य और केंद्र।
कोशिकाद्रव्य के दो भाग होते हैं : बहिर्द्रव्य और अंतर्द्रव्य।
बहिर्द्रव्य रक्षा, स्पर्शज्ञान और संचलन का कार्य करता है तथा अंतर्द्रव्य पोषण एवक प्रजनन का। इससे से विभिन्न वंशों में भिन्न प्रकार के संचलन अंग बनते हैं, यथा कूटपाड, कशाभ, रोमाभ आदि। इसी द्रव्य से ही आकुंची धानी, पाचनसंयंत्र के आद्यरूप (यथा मुख, कंठ आदि) और सिस्ट की दीवार आदि बनती है।
कुछ प्रोटोज़ोआ द्विकेंद्री होते हैं। प्रजनन अलिंगी तथा लैगिक दोनों ही प्रकार से होता है। अलिंगी प्रजनन द्विविभाजन द्वारा तथा लैंगिक प्रजनन के लिये नरमादा युग्मक बनते हैं। युग्मक के संयोग से युग्मज बनता है, जो बड़ी संख्या में उसी प्रकार के जीवों को जन्म देता है जिस प्रकार के युग्मक थे।
प्रोटोज़ोआ परजीवी जीवनचक्र की दृष्टि से दो प्रकार के होते हैं :
- एक वे जो केवल एक ही परपोषी में जीवनचक्र पूर्ण करते हैं, जैसे एंडमीबा
- दूसरे वे हैं जो अपना जीवनचक्र दो परपोषियों में पूर्ण करते हैं, जैसे मलेरिया या कालाजार के रोगाणु आदि।
क्रम | युक्ति | रोग |
1 | पापा | पायरिया |
2 | का | कालाजार |
3 | म | मलेरिया |
4 | पे | पेचिस |
5 | सोते है | सोने की बीमारी |
क्रम | युक्ति | रोग |
1 | कल | काला अजार |
2 | आम | अमिबी पेचिश |
3 | म | मलेरिया |
4 | पा | पायरिया |
5 | नी | निद्रा रोग |
6 | में | मलेरिया ज्वर |
7 | पका | पेचिश |
महत्वपूर्ण-
कालाजार-
- व्यक्ति के शरीर में हल्का बुखार अधिक समय तक रहने के साथ ही साथ जिगर और प्लीहा की वृद्धि रहती है |
- शरीर का रंग काला पड़ने लगता है , टखने एवं पलकों पर सूजन आ जाटी है और बीच-बीच में उल्टी आदि आये तो ये सभी लक्षण कालाजार के होने के होते हैं।
अमीबी पेचिश-
- जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है|
- इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है|
पायरिया-
- पायरिया दाँत-मसूड़ों का एक रोग है।
- यह रोग शरीर में कैल्शियम की कमी होने, मसूड़ों की खराबी व दाँत गन्दे रखने से होता है।
- इस रोग में मसूड़े पिलपिले व खराब हो जाते हैं, उनसे खून आता है।
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Protozoa mein kitne type ke disease hai
प्रोटोजोआ मुख्यतः 9 प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है –