मुग़ल बादशाह

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मुग़ल साम्राज्य एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था, जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। इस बीच कई मुग़ल राजाओ ने भारत पर शासन किया जिन्हें क्रमवार याद करने की युक्ति नीचे दी जा रही है –

युक्ति :
BHAJI – SABJI – FOR – MAASAAB
स्पष्टीकरण :
क्रम युक्ति बादशाह शासनकाल
1 B बाबर 1526
2 H हुमांयु 1530-1540 ; 1555-1556
3 A अकबर 1556-1605
4 JI जहांगीर 1605-1627
5 S शाहजहाँ 1627-1658
6 A औरंगजेब 1658-1707
7 B बहादुरशाह 1707-1712
8 JI जहाँदारशाह 1712-1713
9 FOR फर्रुख़ सियर 1713-1719
10 M मोहम्मदशाह 1719-1720, 1720-1748
11 A अहमदशाह 1748-54
12 A मोहम्मद आलमगीर II 1754-1759
13 S शाह आलम II 1759-1806
14 A अकबर II 1806-1837
15 B बहादुर शाह जफ़र 1837-1857

महत्वपूर्ण-

बाबर-

बाबर का जन्म 24 फ़रवरी 1483 ईस्वी में हुआ था। बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा, फ़रग़ना के छोटे राज्य के शासक थे। बाबर फ़रग़ना की गद्दी पर 8 जून 1494 ईस्वी में बैठा। बाबर ने 1507 ईस्वी में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीँ किया था। बाबर के चार पुत्र थे हुमायूँ, कामरान, असकरी और हिँदाल। बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया।
 

नसीरुद्दीन मोहम्मद हुमायूँ (1530-1540)-

हुमायूँ एक महान मुगल शासक थे। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र नसीरुद्दीन हुमायूँ (6 मार्च 1508 – 22 फरवरी, 1556) थे। यद्यपि उन के पास साम्राज्य बहुत साल तक नही रहा, पर मुग़ल साम्राज्य की नींव में हुमायूँ का योगदान है।

बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने 1530 में भारत की राजगद्दी संभाली और उनके सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा ने काबुल और लाहौर का शासन ले लिया। बाबर ने मरने से पहले ही इस तरह से राज्य को बाँटा ताकि आगे चल कर दोनों भाइयों में लड़ाई न हो। कामरान आगे जाकर हुमायूँ के कड़े प्रतिद्वंदी बने। हुमायूँ का शासन अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों पर 1530-1540 और फिर 1555-1556 तक रहा।
 

जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर (1556-1605)-

अकबर ने साम्राज्य में सबसे अधिक क्षेत्र जोड़े और मुगल राजवंश के सबसे शानदार शासक माने जाते हैं; उन्होंने उन्हीं की तरह राजपूताना की एक राजकुमारी जोधा से शादी की। जोधा एक हिन्दू थी। पहले बहुत से लोगों ने विरोध किया, लेकिन उसके अधीन, हरात्मक मुस्लिम/हिन्दू संबंध उच्चतम पर थे। अकबर को कला, संगीत आदि से बहुत प्रेम थे और उनके दरबार में विभिन्न क्षेत्र से नवरत्न रहते थे |
 

नुरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर (1605-1627)-

जहाँगीर ने बेटों के अपने सम्राट पिता के खिलाफ विद्रोही होने की मिसाल दी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ पहला संबंध बनाया। एक शराबी कथित हुए और उनकी पत्नी महारानी नूर जहान, सिंहासन के पीछे की असली ताकत बनी और उनके स्थान पर सक्षम शासन किया।
 

शहाबुद्दीन मोहम्मद शाहजहाँ(राजकुमार खुर्रम)(1627-1658)-

सिंहासन के उदगम से पहले राजकुमार खुर्रम के नाम से जाने जाते थे| उसके तहत, मुग़ल कला और शिल्प उनके शीर्षबिंदु पर पहुँचा; ताजमहल, जहाँगीर समाधि और लाहौर में शालीमार गार्डन का निर्माण किया। उनके बेटे औरंगजेब द्वारा पद से हटाए गए और कैद किए गए।
 

मोइनुद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर (1658-1707)-

अपव्ययी और अपने पूर्ववर्तियों के मुकाबले हिन्दू और हिन्दू धर्म के प्रति असहिष्णु; साम्राज्य को अपनी सबसे बड़ी भौतिक हद तक लाया। मुग़ल साम्राज्य पर इस्लामी शरिया लागू किया। अत्यधिक नीतियों की वजह से उनकी मृत्यु के बाद कई दुश्मनों ने साम्राज्य को कम किया। 
 

बहादुरशाह जफर I उर्फ शाह आलम (1707-1712)-

मुग़ल सम्राटों में पहले जिन्होंने साम्राज्य के नियंत्रण और सत्ता की स्थिरता और तीव्रता में गिरावट की अध्यक्षता करी। उनके शासनकाल के बाद, सम्राट एक उत्तरोत्तर तुच्छ और कल्पित सरदार बन कर रह गए।
 

जहान्दर शाह (1712-1713)-

वह केवल अपने मुख्यमंत्री जुल्फिकार खान के हाथों की कठपुतली था। जहान्दर शाह का काम, मुगल साम्राज्य की प्रतिष्ठा को नीचे ले आया।
 

फुर्रूखसियर (1713-1719)-

1717 में उन्होंने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए शुल्क मुक्त व्यापार के लिए फिर्मन प्रधान किया और भारत में उनकी स्थिति की पुष्टि की।
 

मोहम्मद शाह (1719-1720, 1720-1748)-

1739 में पर्शिया के नादिर-शाह का आक्रमण सहा।
 

अहमद शाह बहादुर (1748-1754)-

अहमद शाह बहादुर मुहम्मद शाह (मुगल) का पुत्र था और अपने पिता के बाद 1748 में 23 वर्ष की आयु में 15वां मुगल सम्राट बना। इसकी माता उधमबाई थी, जो कुदसिया बेगम के नाम से प्रसिद्ध थीं।
 

आलमगीर II (1754-1759)-

आलमगीर द्वितीय 16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया। आलमगीर द्वितीय आठवें मुग़ल बादशाह जहाँदारशाह का पौत्र था। अहमदशाह को गद्दी से उतार दिये जाने के बाद आलमगीर द्वितीय को मुग़ल वंश का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। इसे प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था। वह बड़ा कमज़ोर व्यक्ति था, और वह अपने वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन इमादुलमुल्क के हाथों की कठपुतली था। आलमगीर द्वितीय को ‘अजीजुद्दीन’ के नाम से भी जाना जाता है। वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन ने 1759 ई. में आलमगीर द्वितीय की हत्या करवा दी थी।
 

शाह आलम II (1759-1805)-

शाह आलम द्वितीय, जिसे अली गौहर भी कहा गया है, भारत का मुगल सम्राट रहा। इसे गद्दी अपने पिता, आलमगीर द्वितीय से 1761 में मिली। 14 सितंबर 1803 को इसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और ये मात्र कठपुतली बनकर रह गया। 1805 में इसकी मृत्यु हुई।

इसकी कब्र 13 शताब्दी के संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की महरौली में दरगाह के निकट एक संगमर्मर के परिसर में बहादुर शाह प्रथम (जिसे शाह आलम प्रथम भी कहा जाता है) एवं अकबर द्वितीय के साथ बनी है।
 

अकबर II (1806-1837)-

अकबर द्वितीय (22 अप्रैल 1760 – 28 सितंबर 1837) को भी अकबर शाह द्वितीय के रूप में जाना जाता है, भारत के अंतिम द्वितीय मुगल सम्राट थे। उन्होंने 1806-1837 तक शासन किया। वह शाह आलम द्वितीय के दूसरे पुत्र और बहादुर शाह ज़फ़र के पिता थे।
 

बहादुर ज़फ़र शाह II (1837-1857)-

ब्रिटिशों द्वारा पद से गिराए गए और इस महान गदर के बाद बर्मा के लिए निर्वासित हुए। बहादुर शाह के बच्चों को मार दिया गया और उनको बर्मा भेज दिया गया।
 

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